आज आप लोगो से सिर्फ़ दो बाते कहनी है .......वह भी अपनी कही हुयी नहीं है ....निदा फ़ाज़ली साहब ने कही है ..... पर क्या खूब कही है | अपना काम तो सिर्फ़ आप लोगो का ध्यान इन बातों की तरफ करना है ! आगे आप की मर्ज़ी !
१ ) बच्चा बोला देख कर मज्जिद आलिशान .....
अल्लाह तेरे एक को इतना बड़ा मकान !
अल्लाह तेरे एक को इतना बड़ा मकान !
और
२ ) अन्दर मूरत पर चढ़े ....घी, पुड़ी, मिष्ठान .....
बाहर खड़ा देवता सब से मांगे दान !
बाहर खड़ा देवता सब से मांगे दान !
------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
हो सके तो ज़रा सोचियेगा इन बातों पर, हो सकता है बहुत से सवालो के जवाब शायद आपको खुद बा खुद मिल जाएँ !
------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
जागो सोने वालो ...
शिवम जी,
जवाब देंहटाएंआपकी सिर्फ़ दो बातें दो सौ बातों से बड़ी हैं।
बहुत अच्छी पंक्तियां हैं निदा साहब की।
वाह वाह सिर्फ़ चार पंक्तियों में ही आपने सब सच सामने रख दिया शिवम भाई ....एकदम झन्नाटेदार सच है ये
जवाब देंहटाएंसुन्दर पोस्ट. सवाल जवाब मिल जाने का नहीं है.समस्या शैतानों से है.
जवाब देंहटाएंनिदा फाज़ली साहब ने खूब कहा है ...यहाँ प्रस्तुत करने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सही .....तूही राम है टू रहीम है, तेरे नाम अनेक तू एक ही है!
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही! निदा फ़ाज़ली साहब ने सठिक कहा है! सुन्दर पोस्ट!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर... दुनियां इसको सही से समझ जाए तो सब बवाल मिट जाए.....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर पोस्ट.
bahut sundar panktiya aapne likhee hai
जवाब देंहटाएंकम शब्द...बड़ी बात
जवाब देंहटाएंसाइड पर आपने एक बढ़िया विजेट लगा रखा है उसे ही यहाँ कोट करना चाहूंगा शिवम् जी " Wake up, Stupids !!!!!
जवाब देंहटाएंनिदा फाजली साहब से मैं सहमत हूं। काश दुनिया के सारे लोग ऐसा ही सोचने लगें...।
जवाब देंहटाएंमेरे पसन्दीदा शेर ।
जवाब देंहटाएंफाजली साहब के लाजवाब अशआर..दरअसल सब कुछ इन्सान के समझने पर निर्भर करता है.....
जवाब देंहटाएंबिल्कुल पते की बात शिवम जी। खैर निदा जी तो निदा जी हैं ही एकदम सटीक कहने वाले। आपने भी चुनकर पोस्ट लगाई है।
जवाब देंहटाएंयह जानकर अच्छा लगा कि आप मैनपुरी से हैंं मैं भी अपनी नौकरी के ‘ाुरूआती चार साल मैनपुरी में बिता चुका हूं। दादा प्रेचचन्द्र सक्सैना प्राणाधार, जगत प्रकाश चतुर्वेदी, लाखन सिंह भदौरिया सौमित्र जी, विश्वदेव सिंह चैहान सभी का स्नेह प्राप्त हुआ था उन दिनों।
निदा जी ने बहुत लाजवाब कहा है ... आपने भी आज के माहौल को देख कर इन दो शेरॉन में कितना कुछ कह दिया है .. वो भी बिना कहे .... बहुत खूब शिवम जी .....
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना
जवाब देंहटाएंयहाँ भी पधारें:-
ईदगाह कहानी समीक्षा