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शुक्रवार, 25 जनवरी 2019

विरोध के निशाने पर राष्ट्रीय पर्व ही क्यूँ !?

आप को बहुत सी शिकायतें है ... मैं सहमत हूँ उनका भी समाधान होना चाहिए ... पर राष्ट्रीय पर्व की कीमत पर नहीं ... गणतंत्र दिवस की कीमत पर नहीं ... इस बार भी कुछ मति भृष्ट लोगों से सुना कि इसका बहिष्कार किया जाये ... पर क्यों ... किस कारण से ... ऐसा नया क्या हो गया इस बार कि उस की सज़ा गणतंत्र दिवस को दी जाये ... जो मुद्दे आज आप उठा रहे हैं इस से पहले भी मौजूद थे आगे भी रहेंगे ... क्यों कि हम मुद्दे तो उठाते हैं उसके निवारण हेतु आवश्यक कदम नहीं उठाते ... कुछ लोग तर्क देंगे कि वो इस सरकार से नाराज़ है ... देश मे बिगड़ती कानून व्यवस्था के प्रति उनमें रोष है ... सब के अपने अपने तर्क है ... सब तर्क जायज है पर एक हद तक ! 

सच बताइएगा आप मे से कितनों ने नया साल नहीं मनाया ... किसी को मुबारकबाद नहीं दी न किसी से ली ... आप के खुद के घर मे किसी का जन्मदिन आया हो आपने न मनाया हो ! होता क्या है कि हम लोग यह सब तो मना लेते है पर देश से जुड़े हुये किस मामले पर अपनी पकड़ अक्सर ढीली हो जाती है ... सारा गुस्सा राष्ट्रीय पर्व न मना कर या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान कर ठंडा कर लिया जाता है !

आप सरकार से रुष्ट हो सकते है पूरा अधिकार है आपको ... राजनीतिक तौर पर आप विभिन्न प्रकार से अपना रोष प्रकट करें पर राष्ट्रीय पर्व से रुष्ट होना और उसका असम्मान करना ... केवल मूर्खता है ! विरोध सरकार का कीजिये ... कौन रोकता है ... सीधा राष्ट्र और राष्ट्रीय प्रतीकों के अपमान पर उतर आना कहाँ की समझदारी है ... ऊपर से तुर्रा यह कि इन सब के बाद भी खुद को देश भक्त कहलवाना है !

गणतंत्र दिवस का अपमान हमारा और आपका अपमान है, ये गणतंत्र हमारे और आपके बिना अस्तित्व में नहीं आया। जो इसको अपमानित करने की बात करते हैं वो सीधे तौर पर हमें अपमानित करने की साजिश रच रहे हैं, ऐसे लोगों का मुखर विरोध करें।

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राष्ट्र है तो हम हैं, हम हैं तो राष्ट्र है। हमारी पहली पहचान हमारा राष्ट्र है तद्पश्चात कुछ और। अपने भारतीय होने पर गर्व कीजिए और किसी भी प्रकार के प्रलापों पर ध्यान न देते हुए आगामी गणतंत्र दिवस को विधिवत रूप में मनाएं।
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जागो सोने वालों ...