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गुरुवार, 27 जनवरी 2011

जिन्हें नाज़ है हिंद पे वो कहाँ है ... कहाँ है ... कहाँ है ???

एक खबर के मुताबिक ...

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग [एनएचआरसी] का कहना है कि जन्म लेने से पहले ही देश में हर साल सात लाख लड़कियों की हत्या कर दी जाती है।
एनएचआरसी के सदस्य और पूर्व राजदूत रहे सत्यब्रत पाल ने कहा, 'जैसे ही कोई महिला गर्भवती होती है, उसे बच्चे के लिंग के बारे मे चिंता सताने लगती है। गैरकानूनी तरीके से गर्भ परीक्षण कराने पर जब भ्रूण के लड़की होने का पता चलता है तो उसकी हत्या कर दी जाती है।' उन्होंने कहा, 'भारत में हर साल एक वर्ष की उम्र से पहले ही 10 लाख 72 हजार बच्चों की मौत हो जाती है। लैंगिक भेदभाव वाली हमारी सोच इसकी सबसे बड़ी वजह है। लड़कों के बजाय लड़कियों की मृत्यु दर ज्यादा है।'

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जिन्हें नाज़ है हिंद पे वो कहाँ है ... कहाँ है ... कहाँ है ???
  
ये कूचे ये नीलाम घर दिलकशी के
ये लुटते हुए कारवां जिन्दगी के
कहाँ हैं, कहाँ हैं मुहाफ़िज़ ख़ुदी के?

जिन्हें नाज़ है हिंद
पे वो कहाँ है ... कहाँ है ... कहाँ है ???

ये पुरपेंच गलियां, ये बेख़ाब बाज़ार
ये गुमनाम राही, ये सिक्कों की झंकार
ये इस्मत के सौदे, ये सौदों पे तकरार

जिन्हें नाज़ है हिंद
पे वो कहाँ है ... कहाँ है ... कहाँ है ???

तअफ्फ़ुन से पुर नीमरोशन ये गलियां
ये मसली हुई अधखिली ज़र्द किलयां
ये बिकती हुई खोकली रंग रिलयां

जिन्हें नाज़ है हिंद
पे वो कहाँ है ... कहाँ है ... कहाँ है ???

वो उजाले दरीचों में पायल की छन-छन
तनफ़्फ़ुस की उलझन पे तबले की धन-धन
ये बेरूह कमरों में खांसी की धन-धन

जिन्हें नाज़ है हिंद
पे वो कहाँ है ... कहाँ है ... कहाँ है ???

ये गूंजे हुए क़ह-क़हे रास्तों पर
ये चारों तरफ़ भीड़ सी खिड़िकयों पर
ये आवाज़ें खींचते हुए आंचलों पर

जिन्हें नाज़ है हिंद
पे वो कहाँ है ... कहाँ है ... कहाँ है ???

ये फूलों के गजरे, ये पीकों के छींटे
ये बेबाक नज़रें, ये गुस्ताख़ फ़िक़रे
ये ढलके बदन और ये मदक़ूक़ चेहरे

जिन्हें नाज़ है हिंद
पे वो कहाँ है ... कहाँ है ... कहाँ है ???

ये भूकी निगाहें हसीनों की जानिब
ये बढ़ते हुए हाथ सीनों की जानिब
लपकते हुए पांव ज़ीनों की जानिब

जिन्हें नाज़ है हिंद
पे वो कहाँ है ... कहाँ है ... कहाँ है ???

यहां पीर भी आ चुके हैं जवां भी
तनूमन्द बेटे भी, अब्बा मियां भी
ये बीवी भी है और बहन भी है, मां भी

जिन्हें नाज़ है हिंद
पे वो कहाँ है ... कहाँ है ... कहाँ है ???

मदद चाहती है ये हव्वा की बेटी
यशोदा की हमजिन्स राधा की बेटी
पयम्बर की उम्मत ज़ुलैख़ा की बेटी

जिन्हें नाज़ है हिंद
पे वो कहाँ है ... कहाँ है ... कहाँ है ???

ज़रा मुल्क के राहबरों को बुलाओ
ये कूचे ये गलियां ये मन्ज़र दिखाओ
जिन्हें नाज़ है हिंद पे उन को लाओ
 
जिन्हें नाज़ है हिंद पे वो कहाँ है ... कहाँ है ... कहाँ है ???

- साहिर लुधियानवी


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जागो सोने वालों ... 

मंगलवार, 25 जनवरी 2011

गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं






आप सभी को गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं !

जय हिंद !! 

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जागो सोने वालों ...

शुक्रवार, 21 जनवरी 2011

मिठाई के नाम पर जहर का कारोबार

फर्रुखाबाद से मैनपुरी जिले में मिलावटी मिठाई की सप्लाई जमकर की जा रही है। नगर के अलावा कस्बाई व देहाती इलाकों में मिलावटी व रेडीमेड मिठाई की भरपूर खपत है।

उल्लेखनीय है कि जनपद के बड़े और छोटे मिष्ठान भण्डारों, चाय व परचून की दुकानों पर लाल, पीले व सफेद रंग की मिठाइयां बड़ी प्लेटों में सजी दिख जाती है। यह मिठाई रूपी जहर पड़ोसी जनपद फर्रुखाबाद से मारुति वैन में भरकर सप्लाई किया जाता है। दुकानदार अधिक मुनाफा कमाने के उद्देश्य से मिठाई के नाम पर जहर बेचने से परहेज नहीं कर रहे हैं।

वैसे भी आसमान चूमती महंगाई के दौर में लोग सस्ती चीजें तलाशते हैं। 35 से 37 रुपये किलो चीनी बिक रही है और खोया से बनी मिठाई मात्र 120 रुपये किलो आसानी से मिल जाती है। जानकारी के अनुसार फर्रुखाबाद से मारुति वैन में भरकर आने वाली खोए की मिठाइयां दुकानदार को 60 रुपये किलो थोक में मिल जाती हैं। इन मिठाइयों को दुकानदार 120 रुपये किलो तक बेचकर दूने दाम कर लेते हैं। उन्हें इस बात से कोई लेना देना नहीं है कि मिठाई खाने वाला मरेगा या जिंदा रहेगा। मिलावटी खाद्य पदार्थोँ की बाहरी जनपदों से सप्लाई को जिले के खाद्य निरीक्षक भी नहीं देख रहे हैं। 

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आखिर किस बात का इंतज़ार है ... क्या प्रशासन इस बात का इंतज़ार कर रहा है कि कोई बड़ी घटना हो जाए उसके बाद ही कारवाही की जायेगी ??

क्यों ना समय रहते इन मिलावटखोरो को पकड़ काफी सारी जाने बचा ली जाएँ !!
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जागो सोने वालों ...

मंगलवार, 4 जनवरी 2011

सोच रहा हूँ नेता बन जाए ...


जिस हिसाब से महेंगाई बढ़ती जा रही है ... सोच रहे है ... हम भी नेता बन जाएँ !!









एक
भी घोटाला कर लिए ... बस बन गया काम !









फिर रात के खाने में आलू और प्याज़ की सब्जी ... हम को तो सोच सोच कर ही स्वाद आ रहा है ... खाने मिलेगा तो क्या होगा !!!???
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सभी नेताओ से निवेदन है कि इस बढती हुयी महेंगाई को रोकें और आम आदमी को आम ही बना रहने दें ... हर कोई नेता बन गया तो आप लोगो का क्या होगा ??

और फिर अगर घोटाले ही घोटाले होते रहे तो हर घोटाले में मिलने वाली रकम भी तो कम होती जायेगी ... फिर घोटाला करने से लाभ ???

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जागो सोने वालों ...