फ़ॉलोअर

गुरुवार, 3 दिसंबर 2020

भोपाल गैस कांड की ३६ वीं बरसी



भारत के मध्य प्रदेश राज्य के भोपाल शहर मे 3 दिसम्बर सन् 1984 को एक भयानक औद्योगिक दुर्घटना हुई। इसे भोपाल गैस कांड, या भोपाल गैस त्रासदी के नाम से जाना जाता है। भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड नामक कंपनी के कारखाने से एक ज़हरीली गैस का रिसाव हुआ जिससे लगभग 15000 से अधिक लोगो की जान गई तथा बहुत सारे लोग अनेक तरह की शारीरिक अपंगता से लेकर अंधेपन के भी शिकार हुए। 

 

भोपाल गैस काण्ड में मिथाइलआइसोसाइनाइट (मिक) नामक जहरीली गैस का रिसाव हुआ था। जिसका उपयोग कीटनाशक बनाने के लिए किया जाता था। मरने वालों के अनुमान पर विभिन्न स्त्रोतों की अपनी-अपनी राय होने से इसमें भिन्नता मिलती है। फिर भी पहले अधिकारिक तौर पर मरने वालों की संख्या 2,259 थी। 
 

मध्यप्रदेश की तत्कालीन सरकार ने 3,787 की गैस से मरने वालों के रुप में पुष्टि की थी। अन्य अनुमान बताते हैं कि ८००० लोगों की मौत तो दो सप्ताहों के अंदर हो गई थी और लगभग अन्य 8000 लोग तो रिसी हुई गैस से फैली संबंधित बीमारियों से मारे गये थे। 
 
२००६ में सरकार द्वारा दाखिल एक शपथ पत्र में माना गया था कि रिसाव से करीब 558,125सीधे तौर पर प्रभावित हुए और आंशिक तौर पर प्रभावित होने की संख्या लगभग 38,478 थी। ३९०० तो बुरी तरह प्रभावित हुए एवं पूरी तरह अपंगता के शिकार हो गये।

भोपाल गैस त्रासदी को लगातार मानवीय समुदाय और उसके पर्यावास को सबसे ज़्यादा प्रभावित करने वाली औद्योगिक दुर्घटनाओं में गिना जाता रहा। इसीलिए 1993 में भोपाल की इस त्रासदी पर बनाए गये भोपाल-अंतर्राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को इस त्रासदी के पर्यावरण और मानव समुदाय पर होने वाले दीर्घकालिक प्रभावों को जानने का काम सौंपा गया था।
 

आज इस त्रासदी की 36 वीं बरसी है। इतिहास साक्षी है कि किस प्रकार तब की कांग्रेस सरकार ने इस त्रासदी के सब से बड़े दोषी वॉरेन एंडरसन को सभी कानूनों को ताक पर रख बच निकल जाने का पूरा मौका दिया और पीड़ितों को न्याय से वंचित रखा।
 

 इतने वर्षो के बाद भी आज तक इस त्रासदी के पीड़ितों के साथ न्याय नहीं हुआ है ... सरकारें आती जाती रहती हैं और ये सभी न्याय के तरसते रह जाते हैं | इस त्रासदी में मारे गए लोगों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि सरकार जल्द से जल्द बचे हुए पीड़ितों और उन के परिवार की सुध ले और उनकी शिकायतों का निस्तारण करें |

----------------------------------------

जागो सोने वालों ...

रविवार, 29 नवंबर 2020

बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी ...

काँग्रेसी
मित्रों को सादर आभार जिन्होंने, आज भी गोडसे को उतना ही प्रासंगिक बना रखा है।

इसी बहाने वे गोडसे और उनकी विचारधारा के बारे में आज के युवाओं के मन में प्रश्न तो निश्चित ही खड़े कर रहे हैं।
 
बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी ... आज के इंटरनेट युग का विचारशील युवा आप से ये जरूर पूछेगा या स्वयं गूगल पर जरूर खोजेगा कि ऐसे क्या कारण थे कि १९४८ में एक युवा द्वारा उस व्यक्ति की हत्या की गई जिसे कि देश की स्वतंत्रता प्राप्ति का प्रमुख कारण बताया जाता था।
 
क्या बताओगे उसको !!?? आप तो इस विषय पर चर्चा तक नहीं करना चाहते हो न किसी को करने देते हो !!
 
गांधी कितने बड़े महात्मा थे और गोडसे कितने बड़े पापी ये तय करने के लिए भी चर्चा तो करनी ही होगी और यही तो आजतक हुआ नहीं कि इन मुद्दों पर खुली बहस या चर्चा हुई हो।
 
यही तो हम चाहते है कि आप चर्चा तो करो।
 
😉 
-----------------------------
भई, कम से कम पता तो चले कि जिस व्यक्ति को किसी भी पाठ्यक्रम में स्थान नहीं मिला, जिसके नाम पर कोई पुरस्कार, चौराहा, मोहल्ला, इमारत नहीं उसके बारे में चर्चा क्यों होती है? क्यों बहुत से लोग उसे पसंद करते हैं? क्या कारण है जो सोशल मीडिया और मैन स्ट्रीम मीडिया में उसे हर बार जगह मिलती है!!?? इस बारे में सोचो और जानो !!
 
किसी को भी महान या शैतान बनाने से पहले उस के बारे में जान तो लो ... किसी भी विचारधारा का अंध अनुसरण और अंध विरोध दोनों ही समाज के लिए घातक है |
-----------------------------
जागो सोने वालों ...