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मंगलवार, 6 जुलाई 2010

आखिर कब तक चलेगा यह सब ??

लापरवाही के चलते यहां खुले में रखा करोड़ों रुपये का गेहूं बारिश से बर्बाद हो गया। स्थानीय जिलाधिकारी ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं।

भारतीय खाद्य निगम [एफसीआई] के हापुड़ डिपो में पंजाब से आई गेहूं की ढाई लाख बोरियां खुले में रखी थी जो रविवार और सोमवार को हुई बरसात में भींगने से खराब हो गई। निगम के हापुड़ डिपो में पंजाब से 13 स्पेशल मालगाड़ियों से लाए गए ढ़ाई लाख गेहूं बोरे खुले में छोड़ दिए गए |

कुछ ऐसी ही खबर गुजरात के वलसाड से भी आ रही है ........ वहाँ भी करोड़ों रुपये का गेहूं बारिश में रखा हुआ है और सरकार चैन से सो रही है !

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कितनी बढ़िया बात है ना ....................जिस देश में जहाँ एक दिन पहले बंद रखा गया था बढती हुयी कीमतों के विरोध में .............उसी देश आज करोड़ों रुपये का गेहूं बारिश से बर्बाद हो गया और अब बात हो रही है इस पर जांच करवाने की !!

आपको क्या लगता है यह पहली बार हुआ है ................ नहीं साहब नहीं ......... पिछले साल भी कोलकाता के खिदिरपुर बंदरगाह में लाखों टन दाल सड़ गई थी |

देखें :-

बंदरगाह में सड़ गई लाखों टन दाल

क्या कर लिया था तब किसी ने जो अब कुछ किया जायेगा ! पर सवाल यह पैदा होता है सरकार कब तक जनता के खून पसीने की कमाई को युही बर्बाद करती रहेगी ??

आखिर कब हम लोगो को वह सब मिलेगा जिस का सपना लगातार ६३ सालो से देख रहे है हम ??

कब आखिर कब ???

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जागो सोने वालो...

18 टिप्‍पणियां:

  1. 36गढ में 2करोड़ का चावल बरसात से खराब हो गया।
    जनता के पैसे का सीधा सीधा नुकसान है।
    इसके जिम्मेदार कौन है? और उसे क्या सजा दी गयी है?

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  2. ye sarkari tantra ka kamal hai jee ... ek taraf neta log aur doosre taraf sarkari babu log ... hamare desh mein sarkari naukri ek aisi cheez hai ki ek baar kisi ko mil jaye to zindagi bhar koi kaam karne ki zaroorat nahi rehti hai ... bas baithe baithe muft ki roti todte raho ...
    mai khud pahle sarkari naukar reh chuka hun ... andar ki baatein thodi bahut janta hun ....

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  3. सरकार आँखों पर पट्टी बाँधे सो रही है .... जगाने वाले बस नारे लगाते रहते हैं ... इन सब बातों की फ़िक्र कौन करेगा ...
    खैर भारत बंद तो सफल रहा ना ...

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  4. विचारोत्तेजक लेख लिखा शिवम्.....कहीं खाने के लाले हैं कहीं खाद्यान्न सड़ रहा है....हद है.....!

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  5. भाई इसमें किसी के बाप का भला क्या जाता है....देश जाए भाड में!

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  6. Mehgaayee badh rahi hai...people below poverty line are dying. middle class is suffering, Upper class is indifferent.

    ladta nahi sudhar hoga .

    Ghatiyapan ki hadd ho gayee hai.

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  7. सजग और सरोकार से भरी पोस्ट। पहले भी आया आपके यहाँ, मगर कमेण्ट करने का लिंक ही नहीं ढूँढ पाया।
    देश में लगता है अनाज बहुतायत में है, फिर भी आयात?
    शायद धन भी बहुतायत में है - सो अन्न ख़रीदने के बहाने दूसरे देशों की मदद कर रहे हों हम लोग।
    अगर खा भी लेते तो लगता कि आदमी भी बहुतायत में हैं, मगर शायद नहीं - आदमी या इन्सान कम हैं। तभी तो बेकार गया अन्न!

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  8. हाँ मैंने भी न्यूज़ में देखा था की गेहूं बर्बाद हो गया बारिश के कारण हर साल ऐसी कोई न कोई न्यूज़ आती हैं ,यहाँ लोगो के पास खाने के लिए अन्न नही हैं ,हम लोग घर की महिलाएं जरा भी अन्न न फेका जाये इसके लिए न जाने कितने प्रयत्न करती हैं ,लेकिन इस तरह से जो अन्न बर्बाद हो रहा हैं उसका क्या कहे,बहुत दुःख होता हैं ,बहुत दिल जलता हैं .आपका प्रयास सराहनीय हैं ,शायद ऐसे ही प्रयासों से कुछ बदलाव हो .

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  9. ये नींद रोग देश के हर कोने में फैला है भाई.. और तब तक फैला रहेगा जब तक हम खुद नहीं जाग जाते..

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  10. हम कब जागेंगे । इसके लिये सरकार को लाखों करोडों चिठ्ठियाँ जानी चाहिये । कुछ तो असर होगा ।

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  11. इसके लिए हमें जागने की जरूरत है।
    ………….

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