ठाकरे अपने करीब 50 पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ गुरुवार को अमित का एडमीशन बैचलर ऑफ मास मीडिया [बीएमएम] के अंग्रेजी माध्यम में कराने के लिए माटुंगा स्थित रुइया कॉलेज पहुंचे थे।
सूत्रों के मुताबिक, 'मराठी को उसका हक दिलाने की बात करने वाले ठाकरे अपने बेटे के साथ सीधे प्रिंसिपल के केबिन में पहुंचे। वह अपने बेटे का एडमीशिन अंग्रेजी माध्यम में चाहते हैं।
उन्होंने बीएमएम में पढ़ाए जाने वाले विषयों के बारे में भी पूछा।' ठाकरे के कॉलेज आने की पुष्टि प्रिंसिपल सुहास पड़नेकर ने भी की। उन्होंने इस सत्र से बीएमएम कोर्स मराठी में शुरू किए जाने की भी बात कही।
ठाकरे की पत्नी शर्मिला का कहना है, 'वे कई कॉलेजों में एडमीशन के लिए जा रहे हैं। लेकिन अमित बीएमएम किस भाषा में पढ़ेगा इस बारे में अभी कोई फैसला नहीं हुआ है।' इस बीच मनसे के प्रवक्ता ने कहा ठाकरे रुइया कॉलेज एक पिता की हैसियत से गए थे, राजनेता की तरह नहीं |
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हम तो कहीं के नहीं रहे ..................... अब क्या कहेगे "मराठी मानुष" से ? कैसे रोकेगे उत्तर भारतीय लोगो को महाराष्ट्र में आने से और हिंदी में बोलने से ?
"घर को आग लग गयी घर के चिराग से..............."
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देख लिया राज भाई ............हो गए ना आप भी मजबूर ?? भाषा कोई भी बुरी या भली नहीं होती ! धर्मं कोई भी बुरा या भला नहीं होता ! यह तो हमारी सोच का खेल है जो कभी कभी भली चीजो को भी बुरा बना देती है और बुरी को भली ! सो अपनी सोच को बदलो और जागो ..............!!
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जागो सोने वालों ...
ऐसे लोगों की कथनी और करनी में बड़ा फर्क होता है...
जवाब देंहटाएंअच्छी पोस्ट. भाषण देना, दूसरों पर नियम आरोपित करना अलग बात है और उन्हीं नियमों पर खुद चलना बिल्कुल अलग.
जवाब देंहटाएंDhol ke andar pol !
जवाब देंहटाएंSachha aa gayee saamne..
raj thaakrey is Hypocrite
जवाब देंहटाएंहा हा हा यानि हाथी के दांत ...खाने के और दिखाने के और ...जाने फ़िर भी ये जनता क्यों नहीं समझती
जवाब देंहटाएंnice for Raj !
जवाब देंहटाएंहमारे समाज में अंग्रेजी का बोलबाला आजादी के तुरंत बाद की अपेक्षा बहुत बढ़ चुका है, इस तथ्य से इन्कार नहीं किया जा सकता. हिन्दी के लिए समर्पित लोगों के बच्चे भी अंग्रेजी माध्यम से पढाई करते हैं.राज ठाकरे तो केवल अपने राजनैतिक स्वार्थों हेतु भाषा और क्षेत्र की बात करते हैं और इस प्रकार देश के नागरिकों में वैमनस्य फैला रहे हैं.
जवाब देंहटाएंजगाया उन्हे जाता है, जो सोए हुए हों...ये लोग तो जाग ही रहे हैं..सो तो पब्लिक रही है.
जवाब देंहटाएंफिर भी पब्लिक मराठी मानुष के नाम पर पागल होकर गरीबों को मारेगी। साधुओं को पैर से ठोकर मारेगी। वोट इन्हीं महाश्य को देगी। ये तो पब्लिक है जो सब जानता है, पर करती कुछ नहीं।
जवाब देंहटाएंराज की करनी और कथनी में अंतर है फिर ऊपर से नेता हैं ...आजकल के नेता सत्य कहाँ बोलते हैं .....
जवाब देंहटाएंकुत्ते के दांत, खाने के और, गुर्राने के और!
जवाब देंहटाएंखाने के और दिखाने के और ...जाने फ़िर भी ये जनता क्यों नहीं समझती
जवाब देंहटाएंराज के पास अब कोई जबाब नहीं होगा ....
जवाब देंहटाएंsamjhte sab hai hai bas chup hai..shivam ji rochak likha hai
जवाब देंहटाएंइस सच को साझा करने के लिए शुक्रिया।
जवाब देंहटाएं................
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माननीय राज ठाकरे जी को केवल कुछ लाख vote चाहिये। उन्हे देश को क्या फर्क पङेगा इसकी परवाह नही है।
जवाब देंहटाएंपब्लिक को जागना चाहिए ना और फिर सही गलत का फैसला कर के ही भेड चाल चलनी चाहिए.
जवाब देंहटाएंअच्छा लेख.
यहाँ सब वोट बैंक के लिए सारा खेल है
जवाब देंहटाएंजनता पिसती है, वोट का निकलता तेल है
बहुत अच्छा भाई। क्या कहने। भारत में ऐसा ही होता है। आप राज की बात कर रहे हैं। मुलायम सिंह जी भी ऐसे ही हैं। वह भी हिन्दी प्रेमी हैं पर लड़के को पढऩे के लिए विदेश भेजते हैं। इसको लेकर भी कुछ खास किया जाना चाहिए।
जवाब देंहटाएंनेता और इनकी बातें कौन नही जानता । जनता के लिये एक घर के लिये दूसरी ।
जवाब देंहटाएंHathi ke dant......
जवाब देंहटाएंराज ठाकरे जी.. शर्म की कोई उम्र नहीं होती.. अगर आती है तो ले आओ.. क्यूँ बरगलाते हो बेचारे मराठी मानुष को..? अब तो कुछ शर्म करो..!!
जवाब देंहटाएंजोगेंद्र सिंह
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ghar me ....sher hota hai ,maharashtra ki chacha bhatije registry apne nam karayee hui hai ..vhan rahane wale sab......!!!!!!!!!!!hain
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