सीबीआई की ताजा सूची [31 मार्च 2010 तक] के अनुसार उसने भ्रष्टाचार से जुड़े 117 मामले में फंसे 316 भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट तैयार कर ली है और अदालत में इसे दाखिल करने के लिए सरकार की अनुमति का इंतजार है। जबकि फरवरी 2010 तक की सूची में 247 अधिकारियों के नाम थे और 31 दिसंबर 2009 तक की सूची में मात्र 99 अधिकारी ही शामिल थे। जाहिर है पिछले तीन महीने में ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों की संख्या तीन गुना बढ़ गई है।
वैसे सरकार ने मार्च महीने में 29 मामलों में फंसे कुल 45 अधिकारियों के खिलाफ अदालत में आरोपपत्र दाखिल करने की अनुमति सीबीआई को दी थी। लेकिन इसी महीने में सीबीआई ने 35 नए मामलों की जांच पूरी कर ली और इसमें आरोपी पाए गए 115 अधिकारियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करने की अनुमति का पत्र केंद्र और संबंधित राज्य सरकारों भेज दिया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने सरकार का बचाव करते हुए कहा कि सीबीआई की इस सक्रियता के कारण भी सूची ज्यादा लंबी हो गई है। लेकिन इस सूची में दर्जनों ऐसे मामले हैं जिनमें भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट करने के लिए सीबीआई तीन साल पहले ही अनुमति मांग चुकी थी। लेकिन अब तक उसे यह अनुमति नहीं मिली है।
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यह कोई नयी बात नहीं बताई है CBI वालों ने भारत का तो बच्चा-बच्चा इस बात को बहुत पहले से जानता है कि भ्रष्ट अधिकारियो कि गिनती बढ़ती ही जा रही है | सरकार भी बेचारी कब तक अनुमति पत्रों पर अपनी मोहर लगाती रहेगी ................यह गिनती तो बढ़ती ही रहेगी .................... जैसे मंत्री वैसे अधिकारी !! इस में क्या नया है ?? अगर CBI वालों को सच में देश से भ्रष्टाचार खत्म करना है तो सब से पहले भ्रष्ट मंत्रियो को चार्जशीट दे फिर अधिकारियों की बारी आएगी !! जब तक हमारे देश के मंत्री नहीं सुधरेगे, अधिकारी कभी नहीं सुधर सकते !! इस लिए समस्या को सिरे से ही खत्म किया जाये तो ही कुछ लाभ है !
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वैसे भाई जो करना है करो....... अपन तो ना मंत्री है ना अधिकारी !! अपन तो सीधी साधी जनता है जिस का होना ना होना सब बराबर है !! हर ५ साल में कुछ दिनों के लिए हमारे दिन बदलते है फिर वही हड्डी वही खाल !! सो अपने कहने का बुरा मत मानना .............अपनी तो आदत है सो कहते है ......................जागो सोने वालों ...........!!!
CBI के अनुसार फरवरी 2010 तक की सूची में 247 अधिकारियों के नाम थे लेकिन मेरे विचार से अगर CBI ये कहे की पुरे भारत में 247 अधिकारी भ्रष्ट नहीं है तो भी ये अतिशयोक्ति नहीं होगी.
जवाब देंहटाएंइसके लिए सिर्फ और सिर्फ डरपोक जनता जिम्मेवार है /
जवाब देंहटाएंबप्पा मोरे.... ई का अबही थोडे हुआ है... भैया हिन्दुस्तान एके साल में थोडे महान हुआ है... पूरा तिरसठ साल लगा है इसको महान बननें मे..
जवाब देंहटाएंYe adhikari aur mantri isi deshki jantake, maa bahnon ke jaye hain! Jitni loksankhya badhegi,utnihi bhrasht adhikariyon ki soochi badhegi!
जवाब देंहटाएंसमयोचित तथा सुसंगत रचना है! भ्रस्टाचार के मूल में क्या है ... गरीबी? बढती जनसंख्या? ढीला नियम? या फिर जनता में जागरूकता की कमी?
जवाब देंहटाएंयही देश का दुर्भाग्य है..विचारोत्तेजक पोस्ट.
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'शब्द सृजन की ओर' पर 10 मई 1857 की याद में..आप भी शामिल हों.
dost badi khoj been ke baad ye comment vala box mil paya. aapki lekhani se parichay hua. apake sabhi post uttam hain.
जवाब देंहटाएंबस तीन गुना ?
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