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बुधवार, 21 अप्रैल 2010

चिलचिलाती धूप में बिलबिला रहे बच्चे...एसी में सोते डीएम साहब

चिलचिलाती धूप और लू के थपेड़ों के बीच मैनपुरी नगर का 6 वर्षीय शिखर स्कूल से घर पहुंचा और पहुंचते ही उल्टियां करने लगा। एक तो आसमान से बरसती आग और ऊपर से बस्ते का बोझ। शिखर का ये हाल तो होना ही था। ये कहानी अकेले शिखर की नहीं है जिले में हर ऐसे कई बच्चे गरमी का शिकार होकर बीमार पड़ रहे हैं। मगर बच्चों के इस हाल के लिए न तो डीएम फिक्रमंद हैं और न ही शिक्षा विभाग। हां बच्चे के साथ अभिभावक जरुर इस पीड़ा को सहने पर मजबूर है।

अप्रैल के माह में एक ओर पारा 45 डिग्री से नीचे उतरने का नाम नहीं ले रहा है। वहीं नन्हें मुन्हें बच्चों को कड़क धूप में तपते हुए विद्यालय से घर लौटना पड़ता है। जिससे गर्मी और लू की चपेट में आकर बच्चे रोजाना हैजा, डायरिया का शिकार हो रहे हैं। परंतु कुछ विद्यालय में अभी तक परीक्षाएं समाप्त नहीं हुई है तथा कुछ विद्यालयों में नये सत्र की पढ़ाई शुरू हो गई है जिसके चलते अभिभावक अपने बच्चों को विद्यालय भेजने पर मजबूर हैं।

प्राथमिक विद्यालयों के बच्चे तथा किड्स स्कूलों में पढ़ने वाले प्ले गु्रप व केजी के बच्चों का तो और भी बुरा हाल है न तो वह परेशानी ढंग से बता पाते हैं और अभिभावक पिछड़ने के डर से नन्हें बच्चों को स्कूल भेज रहे हैं। अभिभावकों का कहना है डीएम साहब व जिला प्रशासन इस ओर से बेखबर हैं वहीं विद्यालयों के खुलने के कारण वह बच्चों को घर पर भी नहीं बिठा सकते हैं। अभिभावकों का कहना है कि डीएम साहब को सर्दी तो दिखाई पड़ती हैं लेकिन एसी आफिस और एसी घर में बैठ बाहर का बढ़ता तापमान नजर नहीं आ रहा है।

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अगर जल्द ही जिला प्रशासन की नींद नहीं खुली तो कोई भी अनहोनी घट सकती है ! एसे में सवाल यह उठता है कि अगर कोई अनहोनी घट गयी तो ज़िम्मेदार कौन होगा - जिला प्रशासन , शिक्षा विभाग या अभिभावक खुद ??

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भाई, हम तो यही दुआ करते है कि गर्मी कम हो और हमारे मासूम बच्चे सकुशल रहे ! वैसे अगर गर्मी जल्दी गयी है तो क्या गर्मी की छुट्टियाँ जल्दी नहीं सकती ? डीएम साहब एसी आफिस और एसी घर में बैठ इस बात पर गौर जरूर करियेगा ! तब तक हम अपनी आदत अनुसार बोले देते है ................................जागो सोने वालों ....................!!

5 टिप्‍पणियां:

  1. छुट्टी करने में भी समस्या होती है, न करने में भी. जिनके माता पिता दोनों काम पर जाते हैं उनकी अचानक हुई छुट्टियों में उनका ध्यान रखने वाला कोई नहीं होता.समाधान शायद इसमें है कि ब्च्चों को केवल खेल खिलाए जाएं, कहानी सुनाई जाए, सुलाया जाए, जो माता पिता मजबूर हों वे स्कूल भेजें अन्य न भेजें.
    घुघूती बासूती

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  2. इस मामले में मध्य-प्रदेश शिक्षा मंत्री ने समस्त विद्यालयों को २० अप्रेल से अनिवार्य रूप से बन्द किये जाने की घोषणा कर के अच्छा कदम उठाया. वैसे इस आशय के आदेश हर आर डीएम की तरफ़ से अप्रेल में आ जाते थे. लेकिन कुछ निजी विद्यालय इस आदेश की अवहेलना करते हुए ८ और १५ मई तक कक्षाएं संचालित करते थे, इस बार उन के साथ सख्ती बरती गई, लिहाजा यहां के सभी स्कूल छुट्टी मना रहे हैं. उत्तर-प्रदेश में छुट्टियां घोषित न होना आश्चर्य का विषय है, क्योंकि गरमी तो दोनों राज्यों में एक जैसी ही पड़ रही है.

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  3. छुट्टियाँ घोषित कर दी जाएं, आप लौटे अच्छा लगा।

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  4. Inki kubhkarni neend hoti hai ye mahanubhav kahan samay par jaag paate hai... koi rawan hi inhe neend se jaga sakta hai....
    Saarthak aur samayik post ke liye aabhar

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