पापा हार गए…
रात-ठण्ड की
बिस्तर पर
पड़ी रजाईयों को अखाडा बनाता
मेरा छोटा बेटा पांच बरस का |
अक्सर कहता है -
पापा ! ढिशुम-ढिशुम खेले ?
और उसकी नन्ही मुठ्ठियों के वार से मै गिर पड़ता हूँ … धडाम
वह खिलखिला कर खुश हो कर कहता है .... ओ पापा हार गए |
तब मुझे
बेटे से हारने का सुख महसूस होता है |
आज, मेरा वो बेटा जवान हो कर ,
ऑफिस से लौटता है, फिर
बहू की शिकायत पर, मुझे फटकारता है
मुझ पर खीजता है,
तब मै विवश हो कर मौन हो जाता हूँ
अब मै बेटे से हारने का सुख नहीं,
जीवन से हारने का दुःख अनुभूत करता हूँ
सच तो ये है कि
मै हर एक झिडकी पर तिल तिल मरता हूँ |
बेटा फिर भी जीत जाता है,
समय अपना गीत गाता है …
मुन्ना बड़ा प्यारा, आँखों का दुलारा
कोई कहे चाँद कोई आँखों का तारा
- स्व। ओम व्यास ‘ओम’
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आज के दिन आइये एक संकल्प लें कि हमारे रहते कभी पापा को यह नहीं कहना पड़ेगा कि................. "मैं हार गया !"
आप सभी को पितृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाऎँ !!
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जागो सोने वालों ...
कोई शब्द नहीं बचे। वर्तमान का सत्य है। ऐसा नहीं है कि यह पहले नहीं हुआ लेकिन आज प्रत्येक घर की कहानी बन गया है। पहले लाचार माता-पिता के साथ ऐसा होता था लेकिन अब तो सशक्त को भी लाचार बना दिया जाता है।
जवाब देंहटाएंEk dqam sach baat lagi kavita mein .,badhai!!
जवाब देंहटाएंमै हर एक झिडकी पर तिल तिल मरता हूँ |
जवाब देंहटाएंबेटा फिर भी जीत जाता है,
बहुत सुन्दर कविता. कड़्वा सच है ये.
बेहतरीन-मर्मस्पर्शी..."
जवाब देंहटाएंऐसी कवितायें रोज रोज पढने को नहीं मिलती...इतनी भावपूर्ण कवितायें लिखने के लिए आप को बधाई...शब्द शब्द दिल में उतर गयी.
जवाब देंहटाएंकड़्वा सच है ये.
यहाँ एक बात फिर से बता देना उचित होगा कि ये कविताएँ मेरी नहीं बल्कि स्व.ओम व्यास ‘ओम’ की है !
जवाब देंहटाएंजीवन का परम सत्य।
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इंसानों से बेहतर चिम्पांजी?
क्या आप इन्हें पहचानते हैं?
दिल को छू गयी मार्मिक अभिव्यक्ति। धन्यवाद्
जवाब देंहटाएंमन को हिला गये आपके भाव।
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क्या आप बता सकते हैं कि इंसान और साँप में कौन ज़्यादा ज़हरीला होता है?
अगर हाँ, तो फिर चले आइए रहस्य और रोमाँच से भरी एक नवीन दुनिया में आपका स्वागत है।
मर्म बेंध गयी यह रचना....भावुक कर गयी....
जवाब देंहटाएंमन को छू गयी भावनाओं की लहर।
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क्या आप बता सकते हैं कि इंसान और साँप में कौन ज़्यादा ज़हरीला होता है?
अगर हाँ, तो फिर चले आइए रहस्य और रोमाँच से भरी एक नवीन दुनिया में आपका स्वागत है।
Om ji dwara rachit kavita uss samay bhi sahi thee, aaj ka bhi sach hai.
जवाब देंहटाएंHam sankalp lete hain...aisee galati mujhse na ho.
बेहतरीन..
जवाब देंहटाएंउम्मीद करें कि पापा को बचपन में हराने वाला बेटा जवानी में पापा को जिताने की कोशिश करे ताकि जीवन का उत्तरायण सुखद हो ।
जवाब देंहटाएंओम व्यास जी को आप की ओर से ये सच्ची श्रद्धांजलि है ,
जवाब देंहटाएंमन को स्पर्श करने वाली रचना ,
वृद्धाश्रम में रहने वाले या घरों में ऐसा मानसिक उत्पीड़न सहने वालों का दर्द पूरी तरह से इस कविता में उभर कर आता है