फिल्म इस्माइल पिंकी ने पिंकी को भले ही शोहरत की बुलंदियों पर पहुंचा दिया फिर पिंकी की सहायता करने वालों की एक लंबी फेहरिस्त तैयार हो गई बावजूद इसके आज पिंकी का क्या हुआ वह क्या कर रही है, यह अब शायद ही कोई जानता हो ।
आज भी ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पिंकी जैसी अनेकों बालक बालिकाएं हैं जिन्हे बचपन में ही स्कूल जाने की बजाय काम पर लगा दिया जाता है जबकि एक तरफ सरकार जहां बच्चों को कुपोषण से बचाने, उन्हे साक्षर करने के दावे कर रही है यहीं नहीं उसने बाल श्रम पर भी रोक लगाई है, बावजूद इसके बाल श्रम बदस्तूर जारी है।
हमारे आस पास ही देख लीजिये आपको ऐसी न जाने कितनी पिंकी और छोटू मिल जाएंगे ! गली के नुक्कड़ की चाय की दुकान हो या हाइवे का ढ़ाबा यह छोटू आप को हर जगह मिल जाता है आप चाहे या न चाहे ... और तो और कभी कभी तो आपके घर तक आ जाता है जैन साहब की दुकान से आप के महीने के राशन की 'फ्री होम डिलिवरी' करने ... कैसे बचेंगे आप और हम इस से ... कभी सोचा है !!??
ऐसे में आज जब देश भर में विभिन्न संगठनों द्वारा बाल दिवस मनाया
जा रहा हो तो यह सवाल पैदा होता है कि क्या किसी के भी जहन
में इन मासूमों का ख़्याल आया ... ये सारे संगठन बाल अधिकारों, कुपोषण , सर्व शिक्षा जैसे मुद्दों का झण्डा उठाए बच्चों को उनका हक़ दिलवाने की बात करते थकते नहीं हैं पर
कोई भी इन बाल मजदूरों के हक़ की बात नहीं करता ... कोई ऐसा प्रयास होता नहीं दिखता कि देश में बाल मजदूरी बंद हो जाए ... पूछा जाए
तो सब ज़िम्मेदारी सरकारों पर डाल कर कोई खुद को पाक साफ़
दिखाता है |
भारत से बाल मजदूरी तब तक बंद नहीं होगी जब तक हम सब मिल कर इस का
विरोध नहीं करते | हम में से हर एक को हर स्तर पर बाल मजदूरी का विरोध करना चाहिए| जहाँ भी बाल मजदूरी होती दिखे यदि स्वंय विरोध न कर पावें तो
तुरंत प्रशासन या ऐसा किसी संगठन को सूचित
करें जो बाल मजदूरों को मुक्त करवा उन्हें समाज
में पुनः स्थापित करने के लिए प्रयासरत हैं |
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जागो सोने वालों ...
सहमत
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन टीम की और मेरी ओर से आप सब को बाल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं|
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 14/11/2018 की बुलेटिन, " काहे का बाल दिवस ?? “ , में इस पोस्ट को भी शामिल किया गया है|
सार्थक लेख आदरणीय शिवम् जी | बालदिवस तो औचारिकता है बस | बालकों के बारे में सोचे कौन ? पहली बार आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लग रहा है |सादर शुभकामनायें | -
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही कहा. सरकार के साथ ही हम सभी का कर्त्तव्य है कि बाल मजदूरी के खिलाफ एकजुट हों.
जवाब देंहटाएंसार्थक और सशक्त लेख. बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ!
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