फ़ॉलोअर

बुधवार, 14 नवंबर 2018

बाल दिवस और बाल श्रम

 
फिल्म इस्माइल पिंकी ने पिंकी को भले ही शोहरत की बुलंदियों पर पहुंचा दिया फिर पिंकी की सहायता करने वालों की एक लंबी फेहरिस्त तैयार हो गई बावजूद इसके आज पिंकी का क्या हुआ वह क्या कर रही है, यह अब शायद ही कोई जानता हो । 

आज भी ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पिंकी जैसी अनेकों बालक बालिकाएं हैं जिन्हे बचपन में ही स्कूल जाने की बजाय काम पर लगा दिया जाता है जबकि एक तरफ सरकार जहां बच्चों को कुपोषण से बचाने, उन्हे साक्षर करने के दावे कर रही है यहीं नहीं उसने बाल श्रम पर भी रोक लगाई है, बावजूद इसके बाल श्रम बदस्तूर जारी है। 

हमारे आस पास ही देख लीजिये आपको ऐसी न जाने कितनी पिंकी और छोटू मिल जाएंगे ! गली के नुक्कड़ की चाय की दुकान हो या हाइवे का ढ़ाबा यह छोटू आप को हर जगह मिल जाता है आप चाहे या न चाहे ... और तो और कभी कभी तो आपके घर तक आ जाता है जैन साहब की दुकान से आप के महीने के राशन की 'फ्री होम डिलिवरी' करने ... कैसे बचेंगे आप और हम इस से ... कभी सोचा है !!??
 
ऐसे में आज जब देश भर में विभिन्न संगठनों द्वारा बाल दिवस मनाया जा रहा हो तो यह सवाल पैदा होता है कि क्या किसी के भी जहन में इन मासूमों का ख़्याल आया ... ये सारे संगठन बाल अधिकारों, कुपोषण , सर्व शिक्षा जैसे मुद्दों का झण्डा उठाए बच्चों को उनका हक़ दिलवाने की बात करते थकते नहीं हैं पर कोई भी इन बाल मजदूरों के हक़ की बात नहीं करता ... कोई ऐसा प्रयास होता नहीं दिखता कि देश में बाल मजदूरी बंद हो जाए ... पूछा जाए तो सब ज़िम्मेदारी सरकारों पर डाल कर कोई खुद को पाक साफ़ दिखाता है |

भारत से बाल मजदूरी तब तक बंद नहीं होगी जब तक हम सब मिल कर इस का विरोध नहीं करते | हम में से हर एक को हर स्तर पर बाल मजदूरी का विरोध करना चाहिए| जहाँ भी बाल मजदूरी होती दिखे यदि स्वंय विरोध न कर पावें तो तुरंत प्रशासन या ऐसा किसी संगठन को सूचित करें जो बाल मजदूरों को मुक्त करवा उन्हें समाज में पुनः स्थापित करने के लिए प्रयासरत हैं
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

जिस दिन इन जैसे मासूमों को मजदूर बनने से बचा लेना ... मेरे दोस्त जी भर बाल दिवस के गीत गा लेना !!
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
जागो सोने वालों ...

5 टिप्‍पणियां:

  1. ब्लॉग बुलेटिन टीम की और मेरी ओर से आप सब को बाल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं|


    ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 14/11/2018 की बुलेटिन, " काहे का बाल दिवस ?? “ , में इस पोस्ट को भी शामिल किया गया है|

    जवाब देंहटाएं
  2. सार्थक लेख आदरणीय शिवम् जी | बालदिवस तो औचारिकता है बस | बालकों के बारे में सोचे कौन ? पहली बार आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लग रहा है |सादर शुभकामनायें | -

    जवाब देंहटाएं
  3. बिल्कुल सही कहा. सरकार के साथ ही हम सभी का कर्त्तव्य है कि बाल मजदूरी के खिलाफ एकजुट हों.

    जवाब देंहटाएं
  4. सार्थक और सशक्त लेख. बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ!

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणियों की मुझे प्रतीक्षा रहती है,आप अपना अमूल्य समय मेरे लिए निकालते हैं। इसके लिए कृतज्ञता एवं धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ।