मिलिये छोटू से ...
मिलिये छोटू से ...
इस की इस मुस्कान पर मत जाइए साहब ... बेहद शातिर चीज़ है यह ... "देखन मे छोटो , घाव करे गंभीर" टाइप ... इस से बचना नामुमकीन है !
आप कितनी भी कोशिश कर लीजिये ... इस से आप नहीं बच सकते ... दावा है मेरा !!
गली के नुक्कड़ की चाय की दुकान हो या हाइवे का ढ़ाबा यह छोटू आप को हर जगह
मिल जाता है आप चाहे या न चाहे ... और तो और कभी कभी तो आपके घर तक आ जाता
है जैन साहब की दुकान से आप के महीने के राशन की 'फ्री होम डिलिवरी' करने
... कैसे बचेंगे आप और हम इस से ... कभी सोचा है !!??
ज़रा सोचिएगा ... समय मिले तो ... वैसे जरूरी नहीं है !
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जागो सोने वालों ...
बहुत जरूरी और अहम मुद्दा है शिवम भाई , जिस देश का बचपन यूं मुस्कुराने को विवश हो उस देश की जवानी फ़िर रोती ही मिलती है और बुढापा सिसकता हुआ । साठ साल में ये देश न तो अपना बचपन सुधार पाया , न यौवन और न ही साठे के बाद अब बुढापा । अफ़सोस और दुखदाई
जवाब देंहटाएंआपने मेरी कहानी पढ़ी थी - 'सपनों का सौदागर', उसी की एक पंक्ति है - 'बच्चों को देश का भविष्य कहा जाता है और आज मैंने उसी भविष्य को हाथ में कटोरा लिए देखा |', इससे ज्यादा दुखदायी और शर्मनाक क्या होगा |
जवाब देंहटाएंसादर
अरे हाँ! यही छोटू था... यहाँ -
जवाब देंहटाएंhttp://archanachaoji.blogspot.in/2009/03/blog-post_24.html
पता नहीं क्या कहूँ.बाल श्रम के गंभीर समस्या है परन्तु इसके पीछे और अनगिनत समस्याएं हैं. और उन समस्याओं की जड़े भी न जाने कहाँ तक फैली दिखती हैं.
जवाब देंहटाएंकभी कभी लगता है यह समस्या बहुत ही आसानी से खतम नहीं तो कम तो की ही जा सकती है अगर थोडा सा प्रेक्टिकल होकर सोचा जाये तो.परन्तु जब करने निकलो तो उसकी तह में इतना कुछ जटिल होता है कि....
दुखद है बेहद दुखद. देश, समाज के भविष्य की ये हालत.
१०० फीसदी सही और सटीक बात कही आपने | गंभीरता पूर्वक सोचने योग्य मुद्दा है ये | बाल मजदूरी अपराध है और एक अभिश्राप है | पर इस अपराध को हम सभी अनदेखा करते हैं सिर्फ अपनी सहूलियत के लिए | आपने इस मुद्दे को उठाया इसके लिए आपकी प्रशंसा करना चाहूँगा | अपनी तरह से जो भी कोशिश हो पायेगी उसके लिए मैं तत्पर हूँ | मैं हर तरह से इस विषय पर आपका समर्थन करता हूँ | आभार
जवाब देंहटाएंTamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
अगर पढ़ लिख जाता तो शायद इसकी स्थिति कुछ और होती .....!!
जवाब देंहटाएंशुक्र है,मुस्कान फिर भी बनी हुई है।
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