एक अपील
अन्ना हजारे जी की इस पवित्र सामूहिक महा अभियान में मैं भी पूरी भावनात्मकता के साथ शामिल हूँ ... आप भी आइये !
इंक़लाब जिंदाबाद - जय हिंद !!
------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
दुष्यंत कुमार जी की एक कविता है ... शायद आपके कुछ काम आये ...
हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी
शर्त थी लेकिन कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए
हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी
शर्त थी लेकिन कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए
हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए
-----------------------------------------------------------------------------------
जागो सोने वालों ...
मैं शामिल हूँ
जवाब देंहटाएंइस मुहीम में तो हर भारतीय को साथ देना चाहिए ...
जवाब देंहटाएंबिल्कुल ठीक बात है शिवम भाई , और अब जबकि खुलेआम ये बिगुल फ़ूंका दिया गया है तो फ़िर सबको अपने अपने स्तर से कोशिश करनी होगी और वो प्रहार इतना भयंकर होना चाहिए कि ..सब कुछ उस आंधी में उड जाए ..आम आदमी को अपनी ताकत दिखानी ही होगी
जवाब देंहटाएंjai ho!!
जवाब देंहटाएं