आज १३ दिसम्बर है ... ९ साल पहले आज के ही दिन कुछ लोगो ने भारत के लोकतंत्र के प्रतीक संसद भवन की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति दी थी !
९ साल बाद ... आज यह भारत के लोकतंत्र का प्रतीक संसद फिर हमले का शिकार है ... पर अब की बार अपने ही सदस्यों के हाथो !!!
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जागो सोने वालों ...
ये तो पक्ष और विपक्ष ने अपनी नाक की जंग समझ ली है..कोई झुकने को तैयार नहीं है...
जवाब देंहटाएंशहीदों को नमन..
जवाब देंहटाएंआपके ब्लॉग का नाम एकदम सही है "जागो सोने वाले"
जवाब देंहटाएंभला किसीको याद ही कहाँ थे ये जांबाज जिन्होंने अपने प्राणों कि आहुति दे दी..
भयंकर contrast दिखाया है आपने!
जवाब देंहटाएंचित्रों के माध्यम से बहुत बड़ी बात कह दी....
जवाब देंहटाएंhttp://veenakesur.blogspot.com/
यह दुर्भाग्यशाली दिन यह भी याद दिलाता है कि हम आज तक फैसला नहीं कर पाए।
जवाब देंहटाएंशहीदों को नमन।
शिवम् साहब किसे जगा रहे है ये अब गहरी नीद में है. कोई क्रांति ही इन्हें जगा सकती है. शायद दुनिया में ऐसा मच्छी बाज़ार ना मिले. बहुत ही विचारणीय पोस्ट......
जवाब देंहटाएंशिवम् साहब किसे जगा रहे है ये अब गहरी नीद में है. कोई क्रांति ही इन्हें जगा सकती है. शायद दुनिया में ऐसा मच्छी बाज़ार ना मिले. बहुत ही विचारणीय पोस्ट......
जवाब देंहटाएंये देश का दुर्भाग्य है ... इन नेतान की लिए जो मर गए उनकी भी शर्म नहीं है इन्हें ..
जवाब देंहटाएंशिवम भाई, कम शब्दों में बडी बात कह दी है आपने। आपकी इस सोच को सलाम करने को जी चाहता है।
जवाब देंहटाएं---------
दिल्ली के दिलवाले ब्लॉगर।
वाकई शिवम भाई, बेहद अफ़सोस जनक है...
जवाब देंहटाएंशहीदों को नमन..
जवाब देंहटाएंBAhut badi bat
जवाब देंहटाएंकम शब्दों में बडी बात...विचारणीय प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट ने यादों के ज़ख्मों को ताज़ा कर दिया !
जवाब देंहटाएंआपने सही लिखा है, आज संसद की गरिमा जिस तरह नीलाम की जा रही है सर शर्म से झुक जाता है !
नव वर्ष की असीम अनंत शुभकामनाएं!
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ