कुछ लोग यह भूल जाते है कि चाहे कितना भी समय गुज़र जाए ... कुछ घाव कभी भी नहीं भरते ...
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शहीदों को सलामकारगिल विजय दिवस के अवसर पर मंगलवार 26 जुलाई को इस युद्ध के शहीदों को देश भर में याद किया गया और उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। इस मौके पर रक्षा मंत्री एके एंटनी और सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों ने नई दिल्ली के इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति पर इन शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। |
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दोस्ती का हाथनई दिल्ली, 26 जुलाई मंगलवार को हैदराबाद हाउस में भारत-पाक के बीच विदेश सचिव स्तर की वार्ता से पूर्व भारत की विदेश सचिव निरुपमा राव पाकिस्तानी समकक्ष सलमान बशीर से हाथ मिलाते हुए। |
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नमनकारगिल विजय दिवस पर मंगलवार, 26 जुलाई को जम्मू-कश्मीर में द्रास स्मारक पर सेना ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी। -------------------------------------------------------------------------------- इस 'दोस्त' की दोस्ती हर बार कोई न कोई घाव दे ही जाती है ... फिर भी हर बार एक नयी वार्ता क्यों ??? --------------------------------------------------------------------------------- जागो सोने वालों ... |
अब इससे अफ़सोसजनक बात और क्या हो सकती है कि ठीक इसी समय एक बार फ़िर से दोस्ती के नाम पर पडोस की विदेश मंत्री पूरे देश को ठेंगा दिखा के चली गईं । उन शहीदों की आत्मा क्या सोच रही होगी यही सोच रहा हूं
जवाब देंहटाएंकुछ लोगों की फितरत ही ऐसी होती है कि वो पीठ में छुरा मारे बिना नहीं रह सकते
जवाब देंहटाएंउनकी तो आदत है पीठ मेँ छुड़ा घोँपने की।हमारे लोगोँ की कमी है जो नहीँ समझ पाते। बहरहाल जवानोँ के जज्बे को सलाम।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंविचारणीय ..शहीदों को नमन
जवाब देंहटाएंजब फितरत ही ऐसी है तो क्यों …
जवाब देंहटाएंजय हिंद जय हिंद की सेना
जवाब देंहटाएंsach kaha kuchh logo ki fitrat hi aisi hoti hai aur vo apni fitrat se baaz nahi aate.
जवाब देंहटाएंसही कहा है आपने! सुन्दर एवं विचारणीय पोस्ट! शहीदों को मेरा शत शत नमन!
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