विमोचित पुस्तक ' देख लूँ तो चलूँ ' महज यात्रा वृत्तांत न होकर उड़न तश्तरी समीर लाल समीर के अन्दर की उथल-पुथल, समाज के प्रति एक साहित्यकार के उत्तरदायित्व का सबूत है please read it--- http://hindisahityasangam.blogspot.com/2011/01/blog-post_24.html - विजय तिवारी ' किसलय '
bina kahe sab kuch kah diya. badhai.
जवाब देंहटाएंअछि बात है जो आपने काही भी नहीं , यही है हिंदुस्तान की सच्चाई
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंविमोचित पुस्तक ' देख लूँ तो चलूँ ' महज यात्रा वृत्तांत न होकर उड़न तश्तरी समीर लाल समीर के अन्दर की उथल-पुथल, समाज के प्रति एक साहित्यकार के उत्तरदायित्व का सबूत है
please read it---
http://hindisahityasangam.blogspot.com/2011/01/blog-post_24.html
- विजय तिवारी ' किसलय '
- विजय तिवारी ' किसलय '
गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं. बहुत कुछ कहती हुई पोस्ट .. देश की आधी आबादी तक हम शायद ही इस गण के तंत्र का को ले जाने में सफल हुए हों ..
जवाब देंहटाएंजागो सोने वालों,
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
बहुत कुछ सन्देश देती है आपकी ये पोस्ट
जवाब देंहटाएंदेश की बहुत बड़ी आबादी तक अभी भी गणतंत्र की
खुशहाली नहीं पहुँच सकी है
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें।
जय हिंद
बीच का चित्र ही बता रहा है कि गणतंत्र के परखच्चे उडे हुए हैं ...
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