tag:blogger.com,1999:blog-956989187399516292.post1209264634224487903..comments2023-10-16T19:28:01.738+05:30Comments on जागो सोने वालों...: यह क्या हो गया है हम सब को ???शिवम् मिश्राhttp://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-956989187399516292.post-20730573272677022422014-06-27T11:36:45.069+05:302014-06-27T11:36:45.069+05:30आज हर कोई सिर्फ़ अपने लिए सोचता है .बुज़ुर्गो की स...आज हर कोई सिर्फ़ अपने लिए सोचता है .बुज़ुर्गो की सेवा करना वक्त की बर्बादी महसूस होती है .लेकिन युवा पीढ़ी यह नही सोचती की एक दिन वे भी बूढ़े होंगे तब क्या होगा ? Jyoti Dehliwalhttps://www.blogger.com/profile/07529225013258741331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-956989187399516292.post-14607676738367721252011-06-22T08:39:32.655+05:302011-06-22T08:39:32.655+05:30बहुत ही गंभीर समस्या है! बेहद दुःख होता है और ये च...बहुत ही गंभीर समस्या है! बेहद दुःख होता है और ये चिंता का विषय है! उम्मीद है सब ठीक हो जायेगा!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-956989187399516292.post-58934998299263064522011-06-20T12:45:52.839+05:302011-06-20T12:45:52.839+05:30आज की जीवन शैली ... बढता भोतिक्तावाद ... सहनशीलता ...आज की जीवन शैली ... बढता भोतिक्तावाद ... सहनशीलता मैं कमी ... और न जाने कितने कारण हैं पर सभी खुद से जुड़े हुवे ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-956989187399516292.post-68052568122064111262011-06-19T23:20:19.311+05:302011-06-19T23:20:19.311+05:30जब भी ऐसी खबरें और समाचार पढने को मिलता है तो सोचन...जब भी ऐसी खबरें और समाचार पढने को मिलता है तो सोचने लगता हूं कि क्या इसी देश की संस्कृति और सभ्यता को विश्व संचालक संस्कृति कहा जाता था । जाने सब कैसे क्यों खोता चला रहा है । विचारोत्तेजक पोस्टअजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-956989187399516292.post-56515531859302239282011-06-19T23:06:32.825+05:302011-06-19T23:06:32.825+05:30जी हां, ये सच है। मैंने भी आज जागरण में पढ़ा है। च...जी हां, ये सच है। मैंने भी आज जागरण में पढ़ा है। चलो ससुर तो बचे हुए हैं।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-956989187399516292.post-68017007132755975792011-06-19T22:55:45.026+05:302011-06-19T22:55:45.026+05:30ये चिंता का विषय है। जिन्हें सम्मान मिलना चाहिए वे...ये चिंता का विषय है। जिन्हें सम्मान मिलना चाहिए वे अपमान झेल रहे हैं।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-956989187399516292.post-56474114075776415132011-06-19T22:40:16.646+05:302011-06-19T22:40:16.646+05:30सचमुच, ये चिंता का सबब है।
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टेक्निकल एडव...सचमुच, ये चिंता का सबब है।<br /><br />---------<br /><a href="http://za.samwaad.com/" rel="nofollow">टेक्निकल एडवाइस चाहिए... </a><br /><b><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">क्यों लग रही है यह रहस्यम आग... </a></b>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-956989187399516292.post-73682445441800827222011-06-19T19:18:38.046+05:302011-06-19T19:18:38.046+05:30लोग यह भूल जाते हैं कि हमारे संस्कृति ने हमे तीन ॠ...लोग यह भूल जाते हैं कि हमारे संस्कृति ने हमे तीन ॠणों(पितृ ॠण,राष्ट्र ॠण एवं ॠषि ॠण) से उॠण होने के लिए सदा तत्पर रहने का निर्देश दिया है। लेकिन वर्तमान में लोग यह भूलते जा रहे हैं। भौतिकतावादी युग ने संयुक्त परिवार का विघटन कर दिया, जिसका दुष्परिणाम लोगों को भोगना पड़ रहा है।<br /><br />वृद्ध माता-पिता परिजन परिवार की जि्म्मेदारी होते हैं, इसका वहन करना नैतिक दायित्व है।ब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-956989187399516292.post-17988817081404486392011-06-19T17:31:26.935+05:302011-06-19T17:31:26.935+05:30बहुत दुखद और चिंताजनक स्थिति है.आजकल स्वार्थी परिव...बहुत दुखद और चिंताजनक स्थिति है.आजकल स्वार्थी परिवेश,और सहनशीलता की कमी की वजह से ये समस्या विकराल रूप ले रही है.इसमें किसी एक पक्ष का दोष भी नहीं कहा जा सकता.ज्यादातर मामलों में घर में रहने वाला हर व्यक्ति इसकी वजह होता है ( बुजुर्ग भी) .कारण फिर वही कि आजकल कोई भी, किसी के लिए भी, जरा सा भी बर्दाश्त नहीं करना चाहता.<br />हमें अपने स्वार्थ से थोडा सा ऊपर उठकर अपना नैतिक चरित्र उठाना होगा बस.इतना मुश्किल भी नहीं बस नीयत होनी चाहिए..shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-956989187399516292.post-39189278657141986932011-06-19T17:28:46.198+05:302011-06-19T17:28:46.198+05:30अब भी समय है ... इस मानसिकता को बदल लिया जाए उस मे...<b>अब भी समय है ... इस मानसिकता को बदल लिया जाए उस में ही सब की भलाई है !!</b><br />सही बात है !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-956989187399516292.post-4135897010830635102011-06-19T17:20:11.425+05:302011-06-19T17:20:11.425+05:30सहनशीलता में कमी...न्यूक्लियर परिवार, जाने कितनी ह...सहनशीलता में कमी...न्यूक्लियर परिवार, जाने कितनी ही वजहें मिलजुल कर इस तरह का वातावरण निर्मित कर रही हैं....जागना तो होगा.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com