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गुरुवार, 12 जनवरी 2017

१०० वीं पोस्ट - स्वामी विवेकानन्द जी की १५४ वीं जयंती

"सभी मरेंगे- साधु या असाधु, धनी या दरिद्र- सभी मरेंगे। चिर काल तक किसी का शरीर नहीं रहेगा। अतएव उठो, जागो और संपूर्ण रूप से निष्कपट हो जाओ।
 
भारत में घोर कपट समा गया है। चाहिए चरित्र, चाहिए इस तरह की दृढ़ता और चरित्र का बल, जिससे मनुष्य आजीवन दृढ़व्रत बन सके।"
- स्वामी विवेकानन्द

 
स्वामी विवेकानन्द जी की १५४ वीं जयंती के अवसर पर उनको शत शत नमन |
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जागों सोने वालों ...