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शुक्रवार, 26 अगस्त 2011

इंक़लाब जिंदाबाद !!!

बहरो को सुनाने के लिए धमाको की जरुरत हमेशा पड़ी है ... एक तब हुआ था ... ताकि 'वो बिल' पास न होने पाए ... एक आज हुआ है ताकि 'यह बिल' पास हो जाए ...
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इंक़लाब जिंदाबाद !!!
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जागो सोने वालों ...

4 टिप्‍पणियां:

आपकी टिप्पणियों की मुझे प्रतीक्षा रहती है,आप अपना अमूल्य समय मेरे लिए निकालते हैं। इसके लिए कृतज्ञता एवं धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ।