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मंगलवार, 12 अप्रैल 2011

कांग्रेस वालों अपनी हद में रहो ...

अपनी आदत अनुसार टी वी पर समाचार देख रहा था की एक समाचार ने एक बार फिर कुछ पुराने जख्मो को कुरेद दिया ... 

अभी कुछ देर पहले जी न्यूज़ पर बताया गया कि कांग्रेस पार्टी के मुख्य पत्र सन्देश में एक लेख छपा है जिस में कि अमर शहीद सरदार भगत सिंह जी , राज गुरु जी और सुखदेव जी के बारे में आपत्ति जनक तरीके से उनके जाति और धर्म का उल्लेख है साथ साथ अमर शहीद सुखदेव को एक ऐसे हत्या कांड में शामिल बताया गया है जिस में उनकी कोई भूमिका थी ही नहीं !!

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में भारतीय भाषा विभाग के अध्यक्ष और इतिहासकार चमन लाल का कहना है कि सांडर्स हत्याकांड में सुखदेव शामिल नहीं थे, लेकिन फिर भी ब्रितानिया हुकूमत ने उन्हें फांसी पर लटका दिया। उनका कहना है कि राजगुरु, सुखदेव और भगत सिंह की लोकप्रियता तथा क्रांतिकारी गतिविधियों से अंग्रेजी शासन इस कदर हिला हुआ था कि वह उन्हें हर कीमत पर फांसी पर लटकाना चाहता था। 

अंग्रेजों ने भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की फांसी को अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया था और वे हर कीमत पर इन तीनों क्रांतिकारियों को ठिकाने लगाना चाहते थे। लाहौर षड्यंत्र [सांडर्स हत्याकांड] में जहां पक्षपातपूर्ण ढंग से मुकदमा चलाया गया, वहीं अंग्रेजों ने सुखदेव के मामले में तो सभी हदें पार कर दीं और उन्हें बिना जुर्म के ही फांसी पर लटका दिया।  

क्या खुद को सेकुलर कहने वाली कांग्रेस अब शहीदों को जाति और धर्म के आधार पर बांटना चाहती है ... या शहीदों की लाशो पर चल कर वोट बटोरने के इरादे है !?

 यह कांग्रेस वाले यह क्यों भूल जाते है कि आज़ादी की लड़ाई में हमारे देश के इन अमर शहीद की भूमिका किस से कम नहीं है ... २३ मार्च १९३१ वो दिन जिस दिन इन तीनो को ब्रिटिश हुकूमत ने फ़ासी पर लटका दिया था !!

और १५ अगस्त १९४७ में हमारा देश आज़ाद हुआ ... जब कि १९३१ में हमारे अमर शहीदों का जलजला इतना गजब का था कि अगर इस कांग्रेस पार्टी ने उनको समर्थन दिया होता तो शायद आज़ादी १९४७ से बहुत पहले ही मिल गयी होती !!

खैर यह एक बहुत बड़ी बहस का मुद्दा है ... कांग्रेस ने देश को क्या दिया क्या नहीं वह बाद में देखेंगे पर फिलहाल कांग्रेस पार्टी को बिना शर्त राष्ट्र से माफ़ी मांगनी चाहिए ... किसी को भी यह अधिकार नहीं है कि वो इन अमर शहीदों के सम्मान का हनन करें ! कांग्रेस वालों अपनी हद में रहो ...

यह देखें :- 

जन्मदिन पर विशेष :- सुखदेव को अंग्रेजों ने दी बिना जुर्म की सजा

 

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जागो सोने वालों ...

मंगलवार, 5 अप्रैल 2011

एक अपील :- सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं ... ये सूरत बदलनी चाहिए

 एक अपील 



अन्ना हजारे जी की इस पवित्र सामूहिक महा अभियान में  मैं भी पूरी भावनात्मकता के साथ शामिल हूँ ... आप भी आइये !

इंक़लाब जिंदाबाद - जय हिंद !!
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दुष्यंत कुमार जी की एक कविता है ... शायद आपके कुछ काम आये ...

हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए

आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी
शर्त थी लेकिन कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए

हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए

सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए

मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए 
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जागो सोने वालों ...