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शनिवार, 19 सितंबर 2009

उपेक्षा के दुष्परिणाम, भुगते जनता तमाम

अव्यवस्था को नजरअंदाज करने का खामियाजा जन साधारण को ही भुगतना पड़ता है। सड़कों की मरम्मत, बिजली के लटकते तार, पानी के अवैध कनेक्शन या पेयजल आपूर्ति की पाइपों में लीकेज की जब उपेक्षा होती है तो बड़ी घटनाएं होने पर ही सरकारी विभागों में हड़कंप मचता है।

अखबार में खबर छपी , "डायरिया फैलने से चार बच्चों सहित पांच लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों उल्टी-दस्त से पीड़ित सिविल अस्पताल में भर्ती हैं। आरोप है कि पेयजल में गंदे पानी की सप्लाई हो रही है।",  तो अधिकारियों ने आनन-फानन प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने पानी के सैंपल लिए। क्या यही निरीक्षण पहले नहीं होना चाहिए था कि कहां-कहां दूषित पानी की आपूर्ति हो रही है ?? 

लोग शिकायत करते हैं तो उस पर गंभीरता नहीं दिखाई जाती। बारिश के मौसम जल जनित बीमारिया फैलती ही हैं। सरकार ने जब पेयजल कनेक्शन नि:शुल्क दिए हुए है, फिर लोगों को अपने आप कनेक्शन जोड़ने की क्या जरूरत थी ?? स्वास्थ्य और जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को ऐसे कनेक्शन मिलते हैं तो उन्हें तुरंत काट दें।  देश के विभिन्न जिलों में भी यही समस्या है। एक बार बीमारी फैल जाए तो स्वास्थ्य विभाग दावा करता है कि आगे से तमाम एहतियात बरते जाएंगे। मौसम बदलते ही सारे दावे फीके पड़ जाते हैं।

क्यों ना मानसून शुरू होते ही नालियों और खाली स्थानों पर भरे पानी की निकासी की व्यवस्था की जाए, फागिंग हो और कूड़े के ढेर न लगने दिए जाएं ??  

इस से काफी हद तक लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा की जा सकती है। इसमें दो राय नहीं कि बढ़ते उद्योग और कृषि रसायन के कारण भी भूमिगत जल दूषित हो रहा है। देश के जिन जिलों में औद्योगिक इकाइयां बढ़ रही हैं, वहां यह समस्या अधिक है। कई कालोनियों में पेयजल आपूर्ति की पाइप गंदी नालियों से होकर गुजर रही है। उनमें कब लीकेज हो जाए, इस पर किसी का ध्यान नहीं जाता। इससे निपटने के लिए आम जनता को भी भागीदारी करनी होगी। उनके द्वारा अतिक्रमण करने और कूड़ा फेंकने से कई नालियों का अस्तित्व ही मिट चुका है। वह इसे रोके। इसीलिए बारिश होने पर पानी की निकासी नहीं हो पाती है। नालियों की सफाई होती रहे व घरों के आसपास पानी न रुके इस पर ध्यान देने की जरूरत है |
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वैसे हमे क्या, कौन सा हमारे घर के सामने कूड़े के ढेर लगे है या गन्दा पानी जमा है ??  अपनी गली तो भाई, रोज़ साफ़ होती है..... नगर पालिका चेयरमैन को वोट भी तो हमने ही दिलवाये थे ..............फ़िर हमारी गली गन्दी कैसे रह सकती है ??
वो तो जी, YOU JUST DON'T MIND ....... क्या है ना .... जी, अपनी तो कुछ आदत ही एसी है.......बस जी ,कहेते रहेते है ....कोई सुने ना सुने ............ जागो सोने वालों ..........

2 टिप्‍पणियां:

  1. बिलकुल सही पड़ताल है यह ..होना ही चाहिये

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  2. Aapkee bat se ekdam sahmat. Barish se pehale hee naliyon kee safaee ho aur jo saf kare wah kooda bhee uthaye ye nahee ki nalee ke pas hee dher lagadiya. Chahe iske liye use thodee kum naliyan saf karani pade par jo hon we to puree saf hon. sadkon kee marammat bhee barish se pehale ho aur achchi ho ye nahee ki sadak ek barish me hee katm ho jay.

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